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ध्वनि जिला, कहरवा 31.8.1974
मेरो प्यारो कारो स्याम।
कारो है पै जग उजियारों, सबसों न्यारो स्याम।
मेरे नयनन को वह तारो।
वाकी करुना लखि मैं हारो।
मेरो वह प्राननसों प्यारो।
सकल-अधारो स्याम॥1॥
निज जन को वह नित रखवारो।
खल-दल को मद गंजनहारो।
सबको सब कुछ, सबसों न्यारो।
सबको प्यारो स्याम॥2॥
प्रेमिन को प्रेमी मतवारो।
भक्तन के हिय को उजियारो।
केवल प्रीति-पुंज अविकारो।
ऐसो प्यारो स्याम॥3॥
रसिक राय रस बाँटनहारो।
रसनिधि हूँ रसिकनसों हारो।
रस-क्रीडा करि रस विस्तारो।
रस-रतिवारो स्याम॥4॥
मेरो एकमात्र आधारो।
मोहिं न दूजो कोउ सहारो।
सदा-सदा मैं स्याम तिहारो।
मोहि उबारो स्याम!॥5॥