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आईनों से रहित कमरा / मुत्तुलक्ष्मी
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06:00, 2 जनवरी 2015
{{KKRachna
|रचनाकार=मुत्तुलक्ष्मी
}}{{KKAnthologyDeshBkthi
}}{{KKCatKavita}}<poem>जहां भी जिस तरफ भी मुड़े
सामने से आनेवाले लोगों के अंदर
अपने ही सरिस कोई तत्व देखने से
Sharda suman
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