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"जिन्दगी / भास्करानन्द झा भास्कर" के अवतरणों में अंतर

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18:13, 11 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

हर जगह ... हर तरफ़
जीने के लिए
काफ़ी जद्दोजहद -
एक तरफ़
मौत को मात देकर
जीने का जज्बा है
तो
दूसरी तरफ़
मरने पर अमादा कुछ लोग...

कुछ जिन्दगियां
बचती हैं,
कुछ बिक जाती हैं,
खुद जिन्दगी अपनी
यूं ही मिटा देते हैं कुछ लोग...