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जिन्दगीको मौसम रहँदै खन खन दिलको खेत
बाँझो नहोस् पानी पर्दै चेतन जल शुद्ध सफेद
अनन्त ठूलो सागरबाट घुमी घुमी मौसम आयो
खूब फुल्दछ दिलको माटो वर्षाले गान सुनायो
इन्द्रिय गोरू शरीर हलोमा बाँधी बाँधी खन खन खेत
बिउ छन् जगमा कर्म हजारौं रोप फुलाऊ लह लह खेत
जिन्दगीको मौसम रहँदै खन खन रोप फुलाऊ
पर्खन्न कसैलाई काल निठुरी हाय यसै ननिदाऊ
रोप रोप सब बिउहरू अहिले; अन्न फलोस् पछिलाई
नरुनु पछाडि आउँछन् जहिले हिउँद कडा तिमीलाई