भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चन्दन से भरी हो तळाई / निमाड़ी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:44, 21 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चन्दन से भरी हो तळाई,
राणी रनुबाई पाणी खऽ संचरिया।
आगऽ जाऊँ तो डर भय लागऽ,
पाछऽ रहूँ तो घागर नहीं डूबऽ
सिर लेऊँ तो बाजूबंद भींजऽ कड़ऽ लेऊं तो बाळों रड़ऽ