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"अरबी घोड़े पर सवार / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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09:33, 28 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण



अरबी घोड़े पर सवार

जैसे कोई राजकुमार

नदी में डाल गया हो अपना यौवन

और वह हो गई हो निहाल

ऎसा है उसका यौवन

जो नगर में आज नाची

और कुहकी--

आँखों में भरे मदिरा

और हाथ में लिए कटार !