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09:33, 28 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण
अरबी घोड़े पर सवार
जैसे कोई राजकुमार
नदी में डाल गया हो अपना यौवन
और वह हो गई हो निहाल
ऎसा है उसका यौवन
जो नगर में आज नाची
और कुहकी--
आँखों में भरे मदिरा
और हाथ में लिए कटार !