भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पेटू काळ / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
07:18, 24 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
आयवै
सालोसाल
धोरा री धरती
काळ रै
जबाड़ै तळै
बापड़ी मुठ्ठी’क धूळ
जाणै ऊंट रै
मूंडै में जीरो ?
क्यां स्यूं धापै
पेटू बिरम राकस ?
पण कर दै
अधमरी
सोनल धूळ नै
आ जाट आळी
गिलगिली,
कोनी आण दै
ऊपरलो पानो
अणधारी हूण !
हुगी अधबूढी
देस री आजादी
कोनी जायो
इण री कूख
हाल इस्यो नखतरी
जको देवै
इण सरब भकसी नै
ललकारी,
अबै तो
लागै’क लिख दी
सदा रै वासतै
इण बाजरियै री
बेकळू रै करम में
बेमाता
फिरती घिरती
मौत री घ्यारी !