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"ऊपर बादल घुमड़ाये हो / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

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17:42, 27 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ऊपर बादल घुमड़ाये हो,
नीचे गोरी पनियां खों निकरी। ऊपर...
जाय जो कइयो उन राजा ससुर से,
अंगना में कुइयां खुदाव हो,
तुम्हारी बहू पनियां खों निकरी। ऊपर बादल...
जाय जो कइयो उन राजा जेठ से,
सोने के घइला मंगाव हो,
तुम्हारी बहू पनियां खों निकरी। ऊपर बादल...
जाय जो कइयो उन राजा नन्देऊ से,
मुतियन कुड़री जड़ाव हो,
तुम्हारी सरहज पनियां खों निकरी। ऊपर बादल...
जाय जो कइयो उन राजा देवर से,
रेशम की रस्सी मंगाव हो,
तुम्हारी भौजी पनियां खों निकरी। ऊपर बादल...
जाय जो कइयो उन राजा साहब से,
कुंअला पे गर्रा डराव हो,
तुम्हारी धना पनियां खों निकरी,
ऊपर बादल घुमड़ाये हो,
नीचे गोरी पनियां खों निकरी।