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"ककड़ी मत मारो हरियाले / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

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12:56, 28 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कंकड़ी मत मारो हरियाले
नीली घोड़ी बिचक रही हैं
माथे बन्ना के शेहरा सोहे
कलगी उसकी चमक रही है। कंकड़ी...
कानों बन्ना के कुण्डल सोहे
झेले उसके चमक रहे हैं। कंकड़ी...
हाथों बन्ना के कंगन सोहे
घड़ियां चमक रही हैं। कंकड़ी...
संग बन्ना के जोड़ी सोहे
डोली उसकी चमक रही है। कंकड़ी...