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"सखी बन्ना लख आई / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सखी बन्ना लख आई,
मेरे नैनों से छवि नहिं जाए।
सिर शोभित सोने को सेहरा,
फंुदरी रतन जड़ाय। मेरे नैनों से...
चंदन खौर जुल्फ घुंघराली,
अंजन नयन सुहाय। मेरे नैनों से...
चितवनि बान चलावत मोहिसे,
मारे मृदु मुस्काय। मेरे नैनों से...
कंचन कुंअरि सिया वर प्यारो,
लै गये चित्त चुराय। मेरे नैनों से...
सखी बन्ना लख आई,
मेरे नैनों से छवि नहिं जाए।