भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"डर / राजू सारसर ‘राज’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजू सारसर ‘राज’ |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

15:48, 28 जनवरी 2015 का अवतरण

डर लागै
बा’रै बावडौ मेलतांई
बिसवास रा
पग जमै कठै
उणां रै हेठै
जमीं कोनीं।
भाई
बाप
सैणां तकात सूं
करतां बंतळ
राखणी पडै़
कीं ना कीं छैटी
कांई ठाह?