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"सूरज मुख न खोलूगी / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सूरज मुख न खोलूंगी,
मोरी बेंदी का मीना झड़ जाय,
सोने की झाड़ी गंगा जल पानी,
पति से पहिले न पियूं रे,
मोरा नारी धर्म घट जाय। सूरज...
सोने की थाली में भोजन परोसे,
पति से पहिले न खाऊं रे
मोरा नारी धर्म घट जाय। सूरज...
लोंगे इलायची पानों का बीड़ा,
पति से पहिले न खाऊं रे
मोरा नारी धर्म घट जाय। सूरज...
चुन-चुन कलियां सेजें लगाऊं,
पति से पहले न सोऊं रे,
मोरा नारी धर्म घट जाय।
सूरज मुख न खोलूंगी,
मोरी बेंदी का मीना झड़ जाय।