भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"धवळो घोड़ो ने जीन कस्या / मालवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मालवी }} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

13:06, 31 जनवरी 2015 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

धवळो घोड़ो ने जीन कस्या
रामदेव भया असवार
फ्लाणा राम आड़ा फरीग्या
रामदेव जी रेवो आज नी रात
गेल्या हुवा रे भोळा मानवी
परजा जोवे हमारी बाट
पवन पंथी हमारा चालणा
जल मांय रैवां रात