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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मचियन बैठीं सुभद्रा
तौ सुरिज मनावै-तौ सुरिज मनावै हो
मोरे भइया के जो व्हैहैं होरिलवा
बधइया लै के जाबइ-चंगेरिया लै के जाबइ हो
एतना जो सुनिन है भउजी
धाइ महल गईं धाइ महल गईं हो
स्वामी धीरे धीरे बाजइ बधइया
धिरेन उठे सोहर धिरेन उठे सोहर हो
आवा सुनइं पइही जो ननंद सुभद्रा
बधइया लै के अइहीं चंगेरिया लै के आइहीं हो
रामा भोर भये हैं भिनसार
तौ लालन भे हैं होरिल भे हैं हो
आवा बजइं लागीं अनंद बधइया गवैं सखि सोहर
गवइं सखि सोहर हो
बाजत आवैं दस बाजन
अउर कसायल और कसायल हो
आवा नाचति ननंद सुभद्रा पयल नहि बाजइ
पयल नहि बाजइ हो
एतना जो देखिन है भइया
तौ धाइ महलि गे हैं- धाइ महलि गे हैं हो
धना अउती हैं बहिनी हमार गरब नहि कीन्हया
निहुरि पंइयां लाग्या-निहुरि पाइयां लागेउ हो
ननंदी तुहिन मोर ननंदी तुहिन मोर सब कुछ हो
ननंदी सिठिया भरें हैं मोर हाथ
मैं कैसे पंइयां लागउ-मैं कैसे पइयां लागउ हो
ललना की रतुली पंलगिया ओहिन चढ़ि बैठा
हथेन कुछू डारा गरेन पहिरावा-गरेन पहिरावउ हो
सोनवा तौ मोरे सेर भर-रूपवा पंसेरी भर
भउजी हम तौ लेबइ गजमोहना
भतिज के निछावरि-भतिज के निछावरि हो
सोनवा तौ है हमरे अन धन
रूपवा पंसेरी भर-रूपवा पंसेरी भर हो
रूपवन ओरी चुवैं-रूपवन ओरी चुवैं हो
ननंदी एक नहि देबई गजमोहना तौ गरूहै दाम केेर
गरू है दमन केर हो हमरे बबुल केर हो
एतना जो सुनिन है ननंदी तौ ननंदी रिसाय गई
ननंदी रिसाय गई है हो
एक गजमोहना के कारन तो ननंदी रिसाय गई
ननंदी रिसाय गई हो
एतना जो देखिन है भइया तौ धाई महलि गे
भाई महलि गे हैं हो
धन कउन बचन तुम बोलिउ तौ ननंदी रिसाय गई
तौ ननंदी रिसाय गई हो। बहिनी रिसाय गई हो
सोनवा तो देत रह्यों सेर भर
रूपवा पंसेरी भर-रूपवा पंसेरी भर हो
राजा एक नहिं दिहेउं गजमोहना तो ननंदी रिसाय गई
ननंदी रिसाय गई- बहिनी रिसाय गई हो
झोरवा से लिहिन भभूत तो लिलारे लगाइन
लिलारे लगाइन हो
भइया व्है गे हइं जोगिया बैरगिया
बहिनिया केकारन-बहिनिया के कारन हो
हंकरउ नगर से कहरा हंकरि वेगि लावा
हंकरि वेगि लावउ हो
कहरा हलि भलि डोलिया सजवा तौ
ननंदी मनाय लाई-ननंदी मनाय लाई हो
सभवा से उवे ननंदोइया तो धाई महलि गे
धाई महलि गे हैं हो
धन कउन बचन तुम बोलिव तो बहिनी रिसाय गई
बहिनी रिसाय गई है हो।
सोनवा तौ देत रहिउं सेर भर
रूपवा पसेरी भर-रूपवा पसेरी भर
राजा एक नहीं दिहंउ गजमोहना तौ ननंदी रिसाय गई
ननंदी रिसाय गई हो
झोरवा से लिहिन भभूत तौ माथे लगाइन
लिलारे लगाइन हो
भइया व्है गे हैं जोगिया बैरगिया बहिनिया के कारन
बहिनिया के कारन हो
हंकरहु नगर के कहरा हकरि वेगि लावा
हंकरि वेगि लावा हो
कहरा हलि भलि डोलिया सजावा
तौ बहिनी मनाय लई-ननंदी मनाय लई हो
सभवा से उठे ननंदोइया तौ धाय महलि गे है
धाई महलि गे हैं हो
धना अउतीं हैं भउजी तुम्हार तो सरहज हमारिउ हो
धना बरहों लिहा गजमोहना तो पौंद डराया
तौ पौंद डरायिउ हो
वहै चढ़ि आवईं गरब नहि कीन्हिव
पलंग बैठाइउ-पलंग बैठाइउ हो
बारह गजमोहना हैं ननंदी तुम्हारे तो एक ठे हमारेउ हो
है एक ठय हमारेउ हो
ननंदी एक गजमोहना के कारन तौ भइया विदेशी किह्या
भइया विदेश किह्या हो
भइया व्है गे हैं जोगिया बैरगिया
तो एक तुम्हरे कारने-तो एक तुम्हरे कारन हो