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बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बिछुवा तो बाजइ रून झुन
बसिया कहां रे बाजईं बसिया कहां रे बाजईं हो
राजा कउने ननंद जी के भइया
तौ बसिया बजावईं बसिया बजावईं हो
पंसवा तौ खेलई राजा बेल तरी
अउर बमुर तरी अउर बमुर तरी हो
राजा तुम्हरी धना वेदन बिआकुल
तौ तुम्मही बोलाइनि तुम्मही बोलाइनि हो
पंसवा तौ मिचकिन राजा बेल तरी अउर बमुर तरी हो
राजा पेलि पैठि गज ओबरी
कहा धन बेदन- कहा धन बेदन हो
बायें अंग राजा मोर कसकै
दहिन अंग मसकै- दहिन अंग मसकई हो
राजा मरतिउं पंजरिया के पीर
तौ धकरिन बोलावा- तौ धकरिन बोलाय लावा हो
अगिला के घोड़वा कउन सिंह पिछे के कउन सिंह
पीछे के कउन सिंह हो
भइया चला हो बुन्देलनी के देश
जहां बसे धकरिन- जहां बसै धकरित
जहां बसई धकरिन हो
पूंछे अटयिन बटयिन कुंययां पनिहारिन
कुइंयां पनिहारिन हो
राजा पूछें शहरवा के लोग
कहां बसै धकरिन- कहां बसै धकरिन हो
ऊंच नगरपुर पाटन आले बांस छाये हैं हो
आले बांस छाये हैं हो
राजा द्वारे चन्दन बड़ा रूखवा जहां बसे धकरिन
जहां बसै धकरिन हो
को मोरे टटिया उघारिस-बेड़ खरकाइसि
बेड़ खरकाइसि हो
राजा कउन रजनि केर पूत एतनी बैरि आइसि
एतनी बैरि आइसि हो
हम तोरे टटिया उघारेन बेड़ खरकायन
बेड़ खरकायन हो
लोनी मह तौ कउन सिंह के पूत
यतनी रात आयेन एतनी दूरि आयन हो
जो तुम्हारे व्हइहैं होररिलवा
तौ काह लुटइहा तौ काह लुटइया हो
जो तुम्हरे व्हइहैं घेरिया कउन रंग चूनरि
कउन रंग चूनरि हो
जो हमरे व्हइहैं होरलवा
तौ सोनवा लुटइबै रूपवा लुटइबै हो
जो हमरे व्हइहै धोरिया
अवध रंग चूनरि अवध रंग चूनरि हो
अंगिले के घोड़वा कउन सिंह पिछे के कउन सिंह हो
लोनी बीच के डड़िया सुघर लोनी
चंवर चलत आवै पसिनवा ढुरत आवै हो
जो मैं जनतिउं सुघर लोनी