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बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बनरा के सिर सेहरा मोतियन से गुहे हैं
आवा हो मालिन बैठा दुलैचा
करा मौरी कैर मोल हो - मोतियन से गुहे हैं
बनरा के सिर सेहरा हो मोतियन से गुहे हैं
नौ लख बाबा मोल किहिन हो
दस लाख अम्मा दीन हो - मोतियन से गुहे हैं
बनरा के सिर सेहरा हो मोतियन से गुहे हैं
मौरी बांधे दूलहे कउन सिंह
बांधि ससुररिये जांय हो मोतियन से गुहे हैं
वा ससुररिया कै सांकर गलिया
अरझ मौरिया कै झोप हो - मोतियन से गुहे हैं
बनरी बिआहि बना घर आये
झुकि झुकि करत सलाम हो - मोतियन से गुहे हैं
बनरा के सिर सेहरा हो मोतियन से गुहे हैं