भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बखरी तो भली बनवाया / बघेली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:15, 17 मार्च 2015 के समय का अवतरण
बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बखरी तो भली बनवाया हो कउन सिंह
सुरिजन मुंहे का दुआर
ओही व्है के निकरी हैं बेटी को कउन कुंवरि
गोरे बदन कुम्हिलायं
कहा तो मोरी बेटी छत्र तनाई
कहा तो सुरिज अलोप
काहे का मोरे दाऊ छत्र तनइहा
काहे का सुरिज अलोप
आजि कै राति दाऊ तुम्हरे मड़ये तरी
काल्हि विदेशिया के हाथ