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"दीवाली / त्रिलोक सिंह ठकुरेला" के अवतरणों में अंतर

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आयी दीवाली मनभावन
भाँति भाँति घर वार सजे।
जगमग जगमग हुई रोशनी
कितने बंदनवार सजे॥

दादा लाए कई मिठाई,
खील, बताशे भी लाए।
फुलझड़ियाँ, बम, चक्र, पटाखे
अम्मां ने ही मंगवाए॥

गुड़िया ने छोड़ी फुलझड़ियाँ,
शेष पटाखे भैया ने।
धूम धड़ाका हुआ जोर का,
डाँट लगाई मैया ने॥

सबने मिल की लक्ष्मी पूजा,
काली रजनी उजियाली।
कितनी रौनक कितनी मस्ती
फिर फिर आये दीवाली॥