भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जसुदै दैंन उरानों जइये / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ईसुरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} {{KKCatBu...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

16:17, 1 अप्रैल 2015 का अवतरण

जसुदै दैंन उरानों जइये।
हाल लला कौ कइये।
हीरा हाट बिचौली पैरी
चोली फटी दिखइये।
कछुअक साँसी कछुअक झूँठी,
जुरे मिले कैं कइये,
आठ घरी दिन रात ‘ईसुरी’।
काँलौं कैं गम खइये।