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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
सारी चोर-बोर कर डारी,
कर डारी गिरधारी।
गिरधारी पकरन के काजैं।
जुर आईं ब्रजनारी।
नारी भेस करौ मोहन कौ।
पैराई तन सारी।
सारी पैर नार भए मोहन,
नाचें दै-दै तारी
तारी लगा ग्वाल सब हँस रय
ईसुर कयँ बलहारी।