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"हंसा फिरैं बिपत के मारे / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
हंसा फिरैं बिपत के मारे
अपने देस बिनारे।
अब का बेठें ताल तलईयाँ?
छोड़े समुद्र किनारे।
चुन चुन मोती उगले उननें
ककरा चुनत बिचारे।
ईसुर कात कुटुम अपने सें,
मिलवी कौन दिनारे?