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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
तन कौ तनक भरोसौ नइयाँ,
राखैं लाज गुसईयाँ,
उड़ उड़ पात गिरत धरनी मैं,
फिर नई लगत डरईयाँ
जर बर देय भसम हो जै हैं।
फिरना चुनैं चिरइयाँ,
मानुस चाम काम न आवै।
पसु कीं बनत पनईयाँ,
ईसुर कोऊ हाँत ना दै ले
जब हम पकरैं बइयाँ।