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"हौनी कवउँ न जात अनूठी / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर

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17:00, 1 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

हौनी कवउँ न जात अनूठी,
जिदना जी पै रूठी।
इक दिन रूठी राजा नल पै,
हार लील गइ खूँटी।
इक दिन रूठी कंसासुर पै,
मूड़ खपरिया फूटी।
इक दिन रूठी तो अर्जुन पै,
भील गोपका लूटी,
सोने की गढ़ लंक ईसुरी,
घरी भरे में टूटी।