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"हौनी दो पग चलत अँगरैं / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर

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17:00, 1 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

हौनी दो पग चलत अँगरैं,
सब तन चलत पिछारैं।
जैसुइ जान घरों आँगे खाँ,
मार देह का धारें।
करमन वचन करत है ओई,
होनी जौन विचारे
सुर मुन नर आकुल है, ‘ईसुर’,
ई होनी के मारे।