भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"देखत स्याम माँग पै मोये / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बुन्देली |रचनाकार=ईसुरी |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:25, 1 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
देखत स्याम माँग पै मोये,
गोला मुख पै गोये
फन्दन फन्द फूल बेला कौ,
बीचन बीच बिदोये।
बेनी जलद चार कय केरत,
तिरवेंनी सें धोये,
उठत पराग अतर पटिया की,
गये सरवोर निचोये।
ईसुर उतै प्राण की परवी
मन लै चली चितौये।