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"बाँके बजैं पैजनाँ धुनके / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर

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17:26, 1 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

बाँके बजैं पैजनाँ धुनके।
परे पगन में उनके।
सुन तन रौम-रौम कड़ आवत,
धीरज रहत ना तनके।
खेलत फिरत गैल खोरन मेंख
सुर मुख्त्यार मदन के।
करने जोंग लोग कुछनाते,
लुट गये बालापन के
ईसुर कौन कसायन डारे,
जे ककरा कसकन के।