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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
बूँदा मनकौ हरन तुमारौ।
जो लयें लेत हमारौ।
बनौ रात घूंघट के भीतर।
करै रात उजियारौ।
अच्छे रंग धरे कारीगर।
लाल, हरीरो, कारौ।
ईसुर ऐसें डसें लेत है।
जैसे नाँग लफारौ।