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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
दिन बूड़ौं विदेसी ना जारे,
रूप जाब थके हौ तुम हारे।
ससुर हमारे गये परदेसै,
छाये विदेस पिया प्यारे।
कर लइयो आराम भवन में
लाल पलंग दें लटकारे
हमनें सुनी एई गलियन में
गये वटोई दो मारे।
काटौ सुख से रेंन ईसुरी
उठ जइयो यार मोर पारें।