भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चिर-वियोगिनी / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र झा ‘सुमन’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:04, 21 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
चिर वियोगिनी प्रकृति प्रियाकेर भरल आँखि ई साओन-भादव!
विरह - उषम ग्रीषम तापित तन, प्रथम दिवस आषाढ़क उन्मन
पावस-पलक वेदना - दुर्भर टप - टप गलइछ जीवन यौवन
तकरहि मर्मक व्यथा - कथा कहि रहल गलित भय जलद करुण रव
चिर वियोगिनी प्रकृति प्रियाकेर भरल आँखि ई साओन-भादब।।1।।
की अरण्य-कन्या पति - त्यक्ता वा बाल्मीकि आश्रमक कविता?
वृन्दावन - योगिनी वियोगिनि चिर - अनुरक्ता तदपि वंचिता
संचित कय की तकर अश्रु - कण बिन्दु - बिन्दु वरिसय घन अनुभव?
चिर वियोगिनी प्रकृति प्रियाकेर भरल आँखि ई साओन-भादव।।2।।