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"किसान / निशान्त" के अवतरणों में अंतर

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15:30, 4 मई 2015 के समय का अवतरण

लेधे घाटौ खाय’र
खेती करै किसान
देख’र खुस होवां आपां
कै किŸाी जरणांळौ है

पण कण देख्यौ है-
मांय सूं
बो कित्तौ टूट्यो है
हार्यौ है।