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"अकड़म-बकड़म / दिविक रमेश" के अवतरणों में अंतर

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16:02, 10 मई 2015 के समय का अवतरण

अकड़म-बकड़म ठंडम ठा।
याद आ गई माँ की माँ।
सूरज, तू जल्दी से आ।
धूप गुनगुनी ढ़ोकर ला।।
अकड़म-बकड़म ठंडम ठा।
ऐसे में मत कहो नहा।
सूरज, तू जल्दी से आ।
आ बिस्तर से हमें उठा।।
अकड़म-बकड़म ठंडम ठा।
गरमागरम जलेबी खा।
सूरज, तू जल्दी से आ।
आ बुढ़िया की जान बचा।।
अकड़म-बकड़म ठंडम ठा।
जा सर्दी अपने घर जा।।