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नभ-चुम्बी गिरि शृंग-द्रवित स्रोते स्तोत्रक उद्गार
अतल सिन्धुकेर शत तरंगसँ ध्वनित सतत जयकार
कानन-काननसँ सुरभित सुमनक रस पूरित छन्द
दिस-दिस भ्रमि-भ्रमि पवन भ्रमर सुनबथि नित गीत अमन्द
किरण सुवर्णे गढ़थि प्रतापक प्रतिमा प्राची-कूल
रजनी नक्षत्रक लिपिमे रचइछ पद विरुदक मूल
प्रतिभावान प्रभात शीत-बिन्दुक रचि-रचि शुचि गीत
सन्ध्या-प्रतीचीक पटपर चित्रित करइछ रुचि रीति
कलित कण्ठसँ बिहगावली पढै़छ कीर्तिहिक पद्य
भौतिक तत्त्व रूप-रस-गन्ध-स्पर्शक विस्तृत गद्य
प्रतिपद जनिक विश्व मापक रहितहुँ वामन आकार
प्रतिपद श्रुतिमे निराकार होइतहुँ जे छथि साकार
प्रतिपद करथि प्रदक्षिा दीक्षित जनिक अर्चना-हेतु
प्रतिपद कवि युग-युगसँ रच इछ जनिकर महिमा सेतु
प्रतिपद ई प्रतिपक्ष जनिक अछि ध्यान शुक्ल ओ कृष्ण
तनिकहि पदगत प्रतिपदाक प्रत्यर्पण कविक सतृष्ण