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"गाजर खाँव / मोती बी.ए." के अवतरणों में अंतर

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जे जँहवें बा उँहे सोध करता
जे जँहवें बा उँहे से उद्घोष करता
जे जँहवें बा उँहे से सनेस देता, निर्देश करता।

के कँहबा एकर कुछू पता नइखे
बाकी सभे लोग अन्हरिए के अँजोर कहता।

सब सबके हुकूम देता
केहू के कहल केहू मानत नइखे
केहू के केहू पहचानत नइखे
जे जँहवे कुछ देखता त बेबुझले उठा लेता।

सब आन्दोलित हो गइल बा
सब क्रान्तिदर्शी भइल बा
सभे सपनाइल बा
आगे बढ़ला के हड़बड़ी में
सब सबके धकिया रहल बा
बरिआर के पीठी पर अबरा लदाइल बा।

सभे केहू टुकुर टुकुर ताकता
मन से मन फाटत बा
न सीये के बा, न साटे के बा
कुकुरा मुँह चाटता बा।

आपन कहे के कवनो भाषा हइए नइखे
सब आन के भाषा में आपन भाषा घुसवले बा
घोर माठ कइले बा
तोर-तोर लगवले बा

बड़ा गहमा गहमी बा
बड़ा हुम्मा-हुम्मी बा
शीत युद्ध छिड़ल बा
सब सबसे भिड़ल बा
केहू के लगे बा त कुछ हइए ना
सब सबसे छोरता
नोचता-विकोटत बा

गाजर खाँव के आसन दियाता
बाकी गाजर खाँव बइठे तब नू
काहें कि इनके त
खुद आपन कवनो आसन हइए नइखे
गाजर भाई के सलाम कर
भोजपुरिया मोहबरा के तखतिआन कर।

दरिद्रनारायण के ई विराट रूप ह
आई सभे हमनी का उनके पूजीं
उनहीं से पूछीं जा
कि रउराँ का चाहतानी।

जब ई दलिदरे हँउवनि त
लेवे के ले लीहें दीहें का?
नीमन होइत कि ई हमनी के गर छोड़ दीतें।
05.08.92