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"गजल के दर्द / मोती बी.ए." के अवतरणों में अंतर
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17:24, 20 मई 2015 के समय का अवतरण
गजल भा गीत भा कवनो विधा ह शिल्पे नू
दिल में चुभ जाए त ओही के बड़ाई होई
शिल्प भलहीं रहे एइसन कि दिल फड़कि जाए
बाति जो ना बने, शिल्पे के हिनाई होई
बाति अउव्वल रहे, शिल्पो जो रहे बढ़ि चढ़ि के
आवाज, तर्जे अदा, फन से सवाई होई
गीत होखे भा गज़ल शौक से कुछ ना होला
दर्द होखे जो ना दिल में त रुसवाई होई
गज़ल के दर्द मुआ डारे सुनेवालन के
हो न एइसन जो त ई झूठ गवाही होई
26.07.94