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"जितना नूतन प्यार तुम्हारा / स्नेहलता स्नेह" के अवतरणों में अंतर
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− | जितना नूतन प्यार तुम्हारा | + | जितना नूतन प्यार तुम्हारा |
उतनी मेरी व्यथा पुरानी | उतनी मेरी व्यथा पुरानी | ||
− | एक साथ कैसे निभ | + | एक साथ कैसे निभ पाये |
− | सूना द्वार और | + | सूना द्वार और अगवानी। |
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− | जितना तीखा | + | तुमने जितनी संज्ञाओं से |
+ | मेरा नामकरण कर डाला | ||
+ | मैंनें उनको गूँथ-गूँथ कर | ||
+ | सांसों की अर्पण की माला | ||
+ | जितना तीखा व्यंग तुम्हारा | ||
उतना मेरा अंतर मानी | उतना मेरा अंतर मानी | ||
− | एक साथ कैसे रह | + | एक साथ कैसे रह पाये |
− | मन में आग नयन में | + | मन में आग, नयन में पानी। |
− | कभी | + | कभी कभी मुस्काने वाले |
− | फूल-शूल बन जाया करते | + | फूल-शूल बन जाया करते |
− | लहरों पर | + | लहरों पर तिरने वाले मंझधार |
− | कूल बन जाया करते | + | कूल बन जाया करते |
− | जितना गुंजित राग तुम्हारा | + | जितना गुंजित राग तुम्हारा |
− | उतना मेरा दर्द मुखर | + | उतना मेरा दर्द मुखर है |
− | एक साथ कैसे | + | एक साथ कैसे रह पाये |
− | मन में मौन अधर पर | + | मन में मौन, अधर पर वाणी। |
− | सत्य सत्य है किंतु स्वप्न में भी कोई जीवन होता | + | सत्य सत्य है किंतु स्वप्न में- |
− | स्वप्न अगर छलना है तो सत का | + | भी कोई जीवन होता है |
− | जितनी दूर तुम्हारी | + | स्वप्न अगर छलना है तो |
− | एक साथ कैसे | + | सत का संबल भी जल होता है |
− | + | जितनी दूर तुम्हारी मंजिल | |
+ | उतनी मेरी राह अजानी | ||
+ | एक साथ कैसे रह पाये | ||
+ | कवि का गीत, संत की बानी। | ||
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16:39, 8 जून 2015 के समय का अवतरण
जितना नूतन प्यार तुम्हारा
उतनी मेरी व्यथा पुरानी
एक साथ कैसे निभ पाये
सूना द्वार और अगवानी।
तुमने जितनी संज्ञाओं से
मेरा नामकरण कर डाला
मैंनें उनको गूँथ-गूँथ कर
सांसों की अर्पण की माला
जितना तीखा व्यंग तुम्हारा
उतना मेरा अंतर मानी
एक साथ कैसे रह पाये
मन में आग, नयन में पानी।
कभी कभी मुस्काने वाले
फूल-शूल बन जाया करते
लहरों पर तिरने वाले मंझधार
कूल बन जाया करते
जितना गुंजित राग तुम्हारा
उतना मेरा दर्द मुखर है
एक साथ कैसे रह पाये
मन में मौन, अधर पर वाणी।
सत्य सत्य है किंतु स्वप्न में-
भी कोई जीवन होता है
स्वप्न अगर छलना है तो
सत का संबल भी जल होता है
जितनी दूर तुम्हारी मंजिल
उतनी मेरी राह अजानी
एक साथ कैसे रह पाये
कवि का गीत, संत की बानी।