भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हिन्दी / मुकुटधर पांडेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकुटधर पांडेय |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:18, 16 जून 2015 के समय का अवतरण

हिन्दी! तेरा है बड़ा हम सबको अभिमान
बनी हुई दिन रात है, हमको तेरा ध्यान
हमको तेरा ध्यान, प्राण से भी अतिप्रिय है
कर तेरा गुण गान, मुदित हो जाता हिय है
भारत-माता के ललाट की है तू बिन्दी
करें सदा कल्याण ईश तेरी हे हिन्दी।

हिन्दी! तुझको भाग से, मिले अनेक सपूत
जिनके सिर है चढ़ा, अंग्रेजी का भूत
अंगरेजी का भूत चढ़ा, जिनके सिर पर है
जिनको तेरा स्मरण मात्र होता दुःखकर है
हाथों से जो नित्य उड़ाते तेरी चिन्दी
रक्षा इनसे करे ईश तेरी हे हिन्दी!