भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अधीर / मुकुटधर पांडेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकुटधर पांडेय |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:41, 16 जून 2015 के समय का अवतरण

यह स्निग्ध सुखद सुरभित समीर
कर रही आज मुझको अधीर
किस नील उदधि के कूलों से
अज्ञात वन्य किन फूलों से
इस नव प्रभात में लाती है,
जाने यह क्या वार्ता गंभीर,
प्राची में अरुणोदय अनूप
है दिखा रहा निज दिव्य रूप
लाली यह किसके अधरों की
लख जिसे मलिन नक्षत्र हीर?
विकसित सर में किंजल्कजाल
शोभित उन पर नीहार-माल
किस सदय बन्धु की आँखों में
है टपक पड़ा यह प्रेम नीर
प्रस्फुटित मल्लिका पुंज-पुंज
कमनीय माधवी कुंज-कुंज
पीकर कैसी मदिरा प्रमत्त
फिरती है निर्भय भ्रमर-भीर
यह प्रेमोत्फुल्ल पिकी प्रवीण
कर भाव-सिन्धु में आत्मलीन
मंजरित आम्र तरु में छिपकर
गाती है किसकी मधुर गीर,
है धरा बसन्तोत्सव-निमग्न
आनन्द निरत कलगान-लग्न
रह-रह मेरे ही अन्तर में
उठती यह कैसी आज पीर,

-हिन्दी काव्य संग्रह, सं. बालकृष्ण राव