भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रामटहल की मूँछ / ओमप्रकाश कृत्यांश" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओमप्रकाश कृत्यांश |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:06, 2 जुलाई 2015 के समय का अवतरण
रामटहल चपरासी
बड़े साहब से
जब भी मुख़ातिब हुआ
सिर झुकाकर / गिराकर अपनी मूँछ का ताव
बिखराकर बाल
सँभालकर कन्धे की गमछी
और पहनाकर अपनी ज़ुबान को
अदब की लगाम / लेकिन
कमबख़्त / गिराना भूल गया था, उस दिन
अपनी मूँछ का ताव
बस, इतनी-सी बात
बात, बड़े साहब की जान पर बन आयी
शान धूल में सन गयी
उनको रामटहल का सीना
कोई भयावह चट्टान दिखने लगा
वह, उनसे ज़्यादा कद्दावर दिखने लगा
बस देखते ही देखते
साहब भी बन गये
ज्वालामुखी पहाड़ / उगलने लगे आग
और तब
रामटहल के हाथ आपस में जुट गये
शायद उसे लगा / ज़रूरी नहीं मूँछ
रोटी से ज़्यादा!