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"रोटी / कुसुम मेघवाल" के अवतरणों में अंतर

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12:28, 2 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

रमुआ ने पूछा
माँ
तुम तोड़ती क्यों / पत्थर—
क्यों चिलचिलाती / धूप में
बरसते
अंगारों के बीच
बैठी हो
चुप्पी साधे
न छाया है
न पानी है
यहाँ तो केवल
तपती दोपहरी है
माँ ने कहा—
'बेटे
दो जून की
रोटी जो कमानी है।