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"नमक / ठाकुरदास सिद्ध" के अवतरणों में अंतर
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कहते हैं
समुद्र-मन्थन में
चौदह रत्न निकले थे
मालूम नहीं उन चौदह रत्नों में
नमक भी था या नहीं समुद्र के गर्भ से निकला
यह वो अनमोल रत्न है
रोटी में डालकर जिसे खिलाया जाता है
नमकहलाली का हवाला देकर
ग़ुलाम बनाया जाता है।