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"भूलन कांदा / भास्कर चौधुरी" के अवतरणों में अंतर
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कहते है
पैर पड़ते ही भूलन कांदा पर
भूल जाता है आदमी सब कुछ
या
जंगल के देवताओं ने
भूलन कांदा के गुणों को सिरजा है
सिर्फ और सिर्फ आदिवासियों के लिए!!