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"जिसने झेली दासता / त्रिलोक सिंह ठकुरेला" के अवतरणों में अंतर

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14:06, 10 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

जिसने झेली दासता, उसको ही पहचान।
कितनी पीड़ा झेलकर, कटते हैं दिनमान॥
कटते हैं दिनमान, मान मर्यादा खोकर।
कब होते खग मुग्ध, स्वर्ण -पिंजरे में सोकर।
'ठकुरेला' कविराय, गुलामी चाही किसने।
जीवन लगा कलंक, दासता झेली जिसने॥