भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हाय दइया! / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> छु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:41, 14 जुलाई 2015 के समय का अवतरण
छुटकू मटक गये,
हाय दइया!
ज़िद्दी हैं पूरे
रूठे तो रूठे,
ग़ुस्से में सारे
खिलौने टूटे।
छुटकू पटक गये,
हाय दइया!
देखो तो कैसी
मुसीबत आयी,
जाने कहाँ से,
चवन्नी पायी!
छुटकू गटक गये
हाय दइया!
झाँक रहे थे
छत से घर में,
पैर जो फिसला,
बीच अधर में—
छुटकू लटक गये
हाय दइया!