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"हाय दइया! / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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11:41, 14 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

छुटकू मटक गये,
हाय दइया!

ज़िद्दी हैं पूरे
रूठे तो रूठे,
ग़ुस्से में सारे
खिलौने टूटे।
छुटकू पटक गये,
हाय दइया!

देखो तो कैसी
मुसीबत आयी,
जाने कहाँ से,
चवन्नी पायी!
छुटकू गटक गये
हाय दइया!

झाँक रहे थे
छत से घर में,
पैर जो फिसला,
बीच अधर में—
छुटकू लटक गये
हाय दइया!