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"चाँद / सूर्यकुमार पांडेय" के अवतरणों में अंतर

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11:01, 15 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

देखो कितना गोरा चाँद,
आसमान का छोरा चाँद।
भीड़ जुट गई है तारों की,
जैसे एक ढिंढोरा चाँद।
भरा चाँदनी के शरबत से,
चाँदी जड़ा कटोरा चाँद।
सारी दुनिया सोने लगती,
लाता नींद-झकोरा चाँद।

करता नभ में ड्रामा चाँद,
हम बच्चों का मामा चाँद।
कभी दीखता दुबला-पतला,
बन जाता फिर मामा चाँद।
किरणों वाली शर्ट पहनता,
बादल का पाजामा चाँद।
चुपके से मुस्काता, करता,
नहीं कभी हंगामा चाँद।