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"बस्ते में / सूर्यकुमार पांडेय" के अवतरणों में अंतर

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11:01, 15 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

कॉपी, पेंसिल और किताबें
धरे हुए हैं बस्ते में,
टाई, मोनोग्राम, जुराबें
भरे हुए हैं बस्ते में।

रबर, कटर, रूलर, प्रोजेक्टर
धरे हुए हैं बस्ते में,
ग्रीटिंग कार्ड्स, फ्रेंड्स के लेटर
भरे हुए हैं बस्ते में।

कॉमिक, फ़ोटो, रफ़ कॉपी भी
रखी हुई हैं बस्ते में,
लंच-बॉक्स, बिस्कुट टॉफी भी
रखी हुई हैं बस्ते में।

अगड़म - बगड़म - सगड़म
दुनिया भर है मेरे बस्ते में,
सच पूछो तो एक,
अजायबघर है मेरे बस्ते में।
रोज़ लादकर इस बस्ते को
मैं विद्यालय जाता हूँ,
होमवर्क लादे कन्धे पर
वापस घर को आता हूँ।