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"कवन पुर तलाओ के मछरी / मगही" के अवतरणों में अंतर

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कवन पुर तलाओ<ref>तालाब, जलाशय</ref> के मछरी, नदी नाला में आयो जी,
बाबा प्यारे टोना<ref>यह गीत टोना-टोटका का है इसलिए अन्त में ‘टोना’ का व्यवहार किया गया है। यह विधि इसलिए की जाती है, जिससे दुलहे या दुलहिन को किसी का टोना न लग जाय</ref>।
नदी नाला में आयो जी भइया प्यारे टोना॥1॥
कहवाँ के अइसन<ref>ऐसा</ref> गभरू<ref>वह स्वस्थ नौजवान, जिसकी अभी मसें भींग रही हों</ref> जिनि जाल लगायो जी,
जिनि जाल लगायो जी, भइया प्यारे टोना॥2॥
कहवाँ के अइसन बेटिया जिनि लाल भोरायो जी,
बाबा प्यारे टोना।
जिनि लाल भोरायो जी, भइया प्यारे टोना॥3॥
कवन पुर के अइसन गभरू जिनि जाल लगायो जी,
बाबा प्यारे टोना।
जिनि जाल लगायो जी, भइया प्यारे टोना॥4॥
कवन पुर के अइसन बेटिया, जिनि लाल भोरायो जी
बाबा प्यारे टोना।
जिनि लाल भोरायो जी, भइया प्यारे टोना॥5॥

शब्दार्थ
<references/>