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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
जब पिया अयलन<ref>आए</ref> हमर अँगनमा।
धमे धमे<ref>धम-धम</ref> धमकइह<ref>धमकता है</ref> सगर<ref>समग्र, समुचा</ref> अँगनमा॥1॥
जब पिया अयलन हमर चउकठिया<ref>चौकठ</ref>।
मचे मचे मचकहइ<ref>मचकता है</ref> हमर चउकठिया॥2॥
जब पिया अयलन हमर सेजरिया।
थरे थरे काँपहइ<ref>काँपती है</ref> हमर बारी<ref>छोटी, सुकमार</ref> देहिया॥3॥
जब पिया भरलन<ref>भर लिए</ref> हमरा के गोदिया।
टपे टपे चुए लगल हमर पसिनमा<ref>पसीना</ref>॥4॥
छोड़ि देहु छोड़ि देहु, हमर अँचरवा।
हम भागि जयबो<ref>भाग जाऊँगी</ref> अब अपन नइहरवा॥5॥
हमर नइहरवा में चंपा के कलिया।
आनि देहु<ref>ला दो</ref> दुलहा त रहम<ref>रहूँगी</ref> ससुररिया॥6॥
शब्दार्थ
<references/>