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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दादा मियाँ लगाइन<ref>लगाये</ref> घनी बगिया।
मेवा तोड़ तोड़ खइहे, मेरे लाल बने<ref>दुलहा</ref>॥1॥
ससुर भँडुए की साँखरी गलिया।
दामन मोड़ मोड़ चलिहो मेरे लाल बने॥2॥
दादा मियाँ की ऊँची दलनियाँ<ref>दालान, बैठका</ref>।
जहाँ सासु को नचइहो<ref>नचाना</ref> मेरे लाल बने॥3॥
बाबा मियाँ लगाइन घनी बगिया।
मेवा तोड़ तोड़ खइहे, मेरे लाल बने॥4॥
साले भँडु़ए की साँखरी गलिया।
दामन मोड़ मोड़ चलिहो मेरे लाल बने॥5॥
शब्दार्थ
<references/>