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बड्ड अल्पवयस छी हम सभ, नइँ देखि सकब अपन शवयात्रा
आ,
एहि मृत, दुर्गन्धिमय रात्रिमे बढ़ि गेल अछि इच्छादिक मात्रा
आ,
ओछान पर मैल चद्दरि अछि, हम छी फाटल सीरकमे बन्द
आ,
गढ़ि रहल अछि तइओ आत्मा प्रकाश, किरण सूर्य्यक नव छन्द
प्राण अंकुर पर आस्था अछि
मोनक माटि अछि कुमारि
एहि माटिसँ जनमत नब परशुराम
कथमपि नइँ आब कोनो नारि