भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रान-चिड़ै / राजकमल चौधरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकमल चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:51, 5 अगस्त 2015 के समय का अवतरण

सेमलक सुखायल डारिपर
बैसल चिड़ै
हमर प्रान कहिया उड़ि जायत
आ कहिया धरि
बाधित प्रेत जकाँ एहि जंगलमे
अन्हारमे औनाइत
के जानय...
के जानय, आरो चारि दिवस
भेटय नेहक लेल
के जानय, पायब, नव सिंगार
एहि पाकल देहक लेल...
कोनो भरोस नहि
कथूक होस नहि

(वैदेही: जून, 1971)